आ गया मोबाइल हैकर
सावधान मोबाइल पर की जा रही आपकी पर्सनल बातें कोई चोरी छिपे सुन सकता है। वह आपकी बातों से मिली जानकारी के आधार पर आपके एकाउंट से पैसे निकाले की फिराक में है। इसका मतलब है, आपका मोबाइल डेंजर जोन में है। दरअसल बात हो रही है, मोबाइल हैकरों की, जिनकी नजर आपके बैंक अकाउंट्स पर है। वह धोखे से आपसे जानकारी लेकर आपके ही एकाउंट्स से पैसे निकाल लेगा और आपको जब तक खबर लगेगी, वह रफूचक्कर हो जाएगा।
गौरतलब है कि देश में हर महीने 1.5 करोड़ मोबाइल खरीदे जाते हैं। इसलिए अब क्राइम की दुनिया में कंप्यूटरों के बाद मोबाइल फोन हैकरों की चांदी होने वाली है। दरअसल इन हैकरों को हाई वैल्यू डेटा स्टोरेज ने ललचाया है। चूंकि आजकल हम अपने पासपोर्ट नंबर, बैंक अकाउंट नंबर जैसे हाई वैल्यू डेटा फोन पर स्टोर करने लगे हैं, इसलिए हैकरों की निगाह कंप्यूटर से हटकर फोन पर टिक गई है। टेक्निकली कंप्यूटर की तुलना में मोबाइल को हैक करना ज्यादा आसान है, क्योंकि हम इनकी सुरक्षा को लेकर लापरवाह हैं। एक्सपर्ट्स की राय में इन हैकरों के निशाने पर स्मार्टफोन के साथ-साथ आम फोन भी हैं।
एंटी वायरस सॉफ्टवेयर बनाने वाली सिमेन्टेक इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि अभी तक मोबाइल पर हमला करने वाले 400 तरह के वायरस और नुकसान पहुंचाने वाले सॉफ्टवेयर की खोज हो चुकी है। कंप्यूटर के चार लाख वायरसों की तुलना में भले ही यह मामूली संख्या लगे, लेकिन इनसे खतरा उतना ही है। इन खतरों में शामिल स्मिशिंग, प्रैंकिंग, स्नूपवेयर, ब्लूजैकिंग और ब्लूस्नार्फिंग। स्मिशिंग के तहत हैकर एसएमएस या एमएमएस के साथ एक लिंक भेजता है। इसे क्लिक करने पर मोबाइल में वायरस इन्स्टॉल हो जाता है।
प्रैंकिंग में हैकर हैंडसेट पर पहले वायरस भेजता है। इसके बाद हैकर इस हैंडसेट से किसी वेबसाइट पर प्रीमियम एसएमएस भेजकर बैंक या क्रेडिट एकाउंट से पैसे विद-ड्रॉ कर लेता है। स्नूपवेयर सॉफ्टवेयर की मदद से हैकर स्मार्टफोन की कॉन्टेक्ट लिस्ट, एसएमएस को कॉपी करने से लेकर बातचीत तक सुन सकता है। वह आपका कैलंडर देखकर अंदाजा लगा सकता है, कि आपकी कौन सी बातचीत सुनने लायक है। ब्लूजैकिंग में ब्लूटूथ का इस्तेमाल करके हैकर किसी भी ब्लूटूथ वाले सेट पर एसएमएस या एमएमएस भेज सकता है। ब्लूस्नार्फिंग में भी ब्लूटूथ का इस्तेमाल होता है। इसके सहारे हैकर आपके मोबाइल में स्टोर जानकारी तक पहुंच रखने लगता है।
मोबाइल हैकिंग से बचने के लिए सावधानी बरतना जरूरी है। हालांकि सिमेन्टेक, कैस्परस्काई लैब जैसी एंटी वायरस बनाने वाली कंपनियां इनसे निपटने के उपाय सोच रही हैं। फिलहाल मोबाइल यूजर्स के लिए यह सुझाव है कि वह सावधानी बरतें, कंप्यूटर की तरह मोबाइल में पासवर्ड का इस्तेमाल करें। जरा सी भी असामान्य हरकत होते देख सावधान हो जाएं और मोबाइल चैक कराते रहें
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1 comments:
बढ़िया लेख है ........
यहाँ भी आये एवं कुछ कहे :-
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