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Saturday, September 25, 2010

4 जी टेक्नोलॉजी

4 जी टेक्नोलॉजी
हाल ही में ट्राई ने भारत में 9 टेलीकॉम कंपनियों को थ्रीजी स्पेक्ट्रम की नीलामी के योग्य पाया। नीलामी प्रक्रिया पूरा होने बाद ये कंपनियाँ 1 सितंबर से अपना काम शुरू कर देंगी। ज्ञातव्य हो भारत में थ्रीजी सेवा के प्रसार में ही काफी विलंब हो चुका है जबकि कई देशों में कंपनियाँ फोर्थ जनरेशन तकनीक को उपभोक्ताओं तक पहुँचाने में लगी हुई हैं।

हालाँकि ट्राई ने थ्रीजी सुविधा के देरी पर खेद व्यक्त करते हुए बिना देर किए फोर जी सेवा लाने के बारे में विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं क्या है 4जी तकनीक :-

फोर जी तकनीक यानी फोर्थ जनरेशन मोबाइल। इसे फोर्थ जनरेशन कम्युनिकेशन सिस्टम के नाम से भी जाना जाता है। इसमें वाइस डाटा और मल्टीमीडिया उपभोक्ताओं को कभी भी कहीं भी प्राप्त हो सकेगा। इस तकनीक में डाटा ट्रांसफर का रेट इससे पूर्व की जनरेशन की तुलना में बहुत ज्यादा होगा।

फोर जी तकनीक की डाटा रे
अभी सेकंड जनरेशन के मोबाइल में डाटा रेट 9.6 केबी/से. स्टैंडर्ड स्पीड जो सामान्य तौर पर विभिन्ना कारणों से कम ही होती है। 4जी मोबाइल डाटा ट्रांसमिशन की दर 20 मेगाबाइट प्रति सेकंड की दर से प्लान की गई है। इसका मतलब है कि यह स्पीड स्टैण्डर्ड एएसडीएल सर्विस से दस से बीस गुना तेज होगी।

यह तकनीक अच्छी क्वालिटी और हाई सिक्युरिटी दे सकती है। थ्रीजी मोबाइल का वर्तमान डाटा रेट 2 मेगाबाइट्स प्रतिसेकंड है।


इस समय 2जी टेक्नालॉजी (जीएसएम) विश्व स्तर पर व्यापक तौर पर उपयोग की जा रही है। पर 2जी तकनीक की यह सबसे बड़ी कमी है कि इसमें डाटा रेट बहुत धीमी है। इसलिए यह तकनीक, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, वीडियो और म्यूजिक डाउनलोडिंग के लिए उपयुक्त नहीं है।

थ्रीजी तकनीक भी 2 एमबी/से ही डाटा ट्रांसफर कर सकती है लेकिन 4 जी तकनीक 100 एमबी/से. की दर से डाटा ट्रांसफर करती है। आने वाले समय में मोबाइल तकनीक में भी और तरक्‍की की उम्‍मीद है। आगे सारा वि‍श्व ही मोबाइल में समा जाएगा। 1जी यानी फर्स्‍ट जनरेशन मोबाइल ने वि‍श्व को मोबाइल तकनीक से परि‍चि‍त कराया।

1990 के दशक में 2जी मोबाइल से डि‍जीटल फॉर्मेट आया। इससे टेक्‍स्‍ट मैसेज की शुरुआत हुई। 3जी तकनीक ने डाटा ट्रांसफर को आसान कि‍या। 4जी तकनीक में आप 3जी तकनीक की तुलना में कुछ ज्‍यादा फीचर पाएँगे जैसे कि‍ मल्‍टीमीडि‍या, न्‍यूजपेपर, स्‍पष्टता के साथ टीवी प्रोग्राम देखना और तेज गति‍ से डेटा ट्रांसफर हो जाना इत्‍यादि‍।

4 जी टेक्नोलॉजी के बारे में :
4 जी तकनीक पूरी तरह आई-पी इंट्रीग्रेटेड सिस्टम पर आधारित होगी।

यह 100 एमबी/से. से 1 जीबी /से. तक स्पीड देने में सक्षम होगी।

4 जी मोबाइल वर्तमान 2 जी मोबाइल से 200 गुना और 3 जी मोबाइल से लगभग 10 गुना तेज होंगे।

इस तकनीक से सभी तरह की सेवाएँ वहन कर सकने योग्य कीमत में प्राप्त होंगी।

यह तकनीक, उच्च स्तर की सेवाएँ जैसे कि वायरलेस ब्रॉडबैंड एक्सेस, मल्टीमीडिया मैसेजिंग, वीडियो चैट, मोबाइल टीवी और वीडियो ट्रांसमिशन जैसी सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम होंगी।
आभारी h.w.d

वायरलेस राउटर

आपके चलने से चार्ज होगा मोबाइल, लैपटाप

वाशिंगटन। आप मानें या न मानें लेकिन निकट भविष्य में कुछ मिनट तक चलने फिरने से ही आप अपने मोबाइल, लैपटाप और आईपॉड को चार्ज करने में सक्षम हो सकेंगे। यह पीजोइलेक्ट्रिक्स की मदद से संभव होगा।

जार्जिया टेक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस प्रकार के उपकरण के निर्माण का दावा किया है जो चलने फिरने से ही पीजो इलेक्ट्रॉनिक्स सामग्री से आवश्यक विद्युत उर्जा की आपूर्ति करने की क्षमता रखते हैं।

डिस्कवरी चैनल ने अनुसंधानकर्ताओं के हवाले से खबर दी है कि पीजोइलेक्ट्रिक्स 1.26 वोल्ट तक बिजली उत्पन्न कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर इससे भी अधिक वोल्टेज उर्जा पैदा करने में सक्षम हैं।

सह अनुसंधानकर्ता जेड एल वांग ने कहा ‘भविष्य के लिए उपयोगी प्रौद्योगिकी के विकास की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है।’

वांग ने कहा ‘हर कदम से, हर चाल से आप बिजली उत्पन्न कर सकते हैं। पैदा होने वाली विद्युत उर्जा को और अधिक बढ़ाया जा सकता है जो आईपाड और मोबाइल फोन के लिए आवश्यक होगी।’

केवल पीजो इलेक्ट्रिक पदार्थों की विद्युत उर्जा से संचालित विश्व का यह पहला उपकरण वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। तीन वर्ग सेंटीमीटर के दायरे में 20 हजार नैनोवायर को जोड़कर वैज्ञानिकों ने यह उपकरण तैयार किया है।

पीजोइलेक्ट्रिक पदार्थ वैसी सामग्रियाँ हैं जो दबाने या खींचे जाने पर हल्की विद्युत उर्जा उत्पन्न करती हैं।
आभारी (wd)

Friday, September 24, 2010

अब आप बच सकते है, मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन से


मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों को मोबाइल फोन से उत्सर्जित रेडिएशन के सम्पर्क में रहने का खतरा बना रहता है. कभी कभी यह रेडिएशन सामान्य होता है परंतु कभी कभी इसका स्तर खतरनाक हो सकता है. अब एक ऐसी अप्लिकेशन बनाई गई है जो रेडिएशन का स्तर खतरनाक मानक तक पहुँचते ही प्रयोक्ता को चेतावनी दे देती है.
इज़रायल की एक कम्पनी टॉकोन ने यहअप्लिकेशन बनाई है जो ब्लैकबेरी और गूगल एंड्रोइड फोनों पर चलती है. जल्द ही इसका सिम्बीयन संस्करण भी जारी किया जाएगा. यह अप्लिकेशन मोबाइल द्वारा उत्सर्जित रेडिएशन पर नजर रखती है और ना केवल प्रयोक्ता को चेतावनी देती है बल्कि रेडिएशन कम करने की सलाह भी देती है.

उदाहरण के लिए आजकल के कई मोबाइल फोनों में एंटिना नीचे के भाग में होता है. अब यदि प्रयोक्ता का हाथ उस पर लम्बे काल तक रहे तो सिग्नल कमजोर होने लगते हैं और मोबाइल अधिक मात्रा में रेडिएशन फैलाने लगता है. रेडिएशन जब अमुक स्तर से अधिक हो जाता है तो यह अप्लिकेशन एक चेतावनी फ्लेश करती है कि रेडिएशन बढ रहा है फोन को नीचे की तरफ झुका लें.

आम तौर पर मोबाइल को 90 डिग्री के कोण घुमा दिए जाने से रेडिएशन कम होने लगता है. इस कम्पनी के सीइओ का कहना है कि हम नहीं चाहते कि लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना छोड़ें, हम चाहते हैं कि वे सही तरीके से इस्तेमाल करें.

Tuesday, September 21, 2010

सर्फिंग के दौरान सावधानी रखिये नहीं तो हो सकता है नुकशान

नेट सर्फिंग के दौरान अक्सर आपका सामना अवांछित ऑफर्स से हो ही जाता है। इतना ही नहीं चैटिंग के दौरान भी चीटिंग करने वाले फालतू मेल भी आते रहते हैं। लेकिन इनसे सावधान रहने की जरूरत है, नहीं तो दोस्ती करने, कंप्यूटर को सुरक्षा प्रदान करने या लुभावने ऑफर के साथ वायरस भी आ धमकते हैं। इस तरह के मेल से आए वायरस आपके कम्प्यूटर काम तमाम कर सकता है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप नेट सर्फिंग के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखें...

  •  नेट इस्तेमाल के दौरान अगर कोई आपको फालतू की चीजें मेल करे, तो खोलने या जवाब देने से परहेज करने के अलावा ऐसे मेल या ऐप्लिकेशंस को आप ब्लॉक भी कर सकते हैं। अनजाने ईमेल के साथ आए अटैचमेंट के रूप में ही सबसे ज्यादा वायरस आने का खतरा रहता है। आजकल कई ऐसे सॉफ्टवेयर हैं, जो अवांछित मेल को रोकते हैं। ऐसे सॉफ्टवेयर अपने कंप्यूटर पर लोड करके उसे खतरों से बचाया जा सकता है। वैसे कई ई-मेल प्रोवाइडर भी यह सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं।
  • नेट सर्फिग के दौरान सुरक्षित रहने का एक जरूरी मंत्र यह है कि अपने पूरे नाम, सही पते, फोन नंबर और बैंक खाते से संबंधित सूचना नए और अनजान मित्रों से शेयर न करें। अपने फोटोग्राफ को भी सीमित दायरे में इस्तेमाल की छूट दें। नेट पर बने किसी भी मित्र से पहली मुलाकात अकेले न करें। इसमें कोई खतरा हो सकता है।
  • इन दिनों बहुत सी साइट्स आपसे पुरस्कार, सर्वेक्षण, रजिस्ट्रेशन के बहाने निजी सूचनाएं और ईमेल का पासवर्ड मांगती हैं, इनसे चौकस रहें। दरअसल, इसमें बहुत सी ऐसी हैं जो ईमेल डाटा एकत्र कर विज्ञापनदाताओं को बेचती हैं। ऑनलाइन शापिंग के कारोबार से जुड़ी साइट्स भी ऐसा करती हैं। इनसे सावधान रहने में ही भलाई है। एमएसएन के एक सर्वे के मुताबिक, यूरोप के 51 परसेंट टीनएजर्स बिना सोचे समझे साइट खंगालते हैं। इसके लिए यूरोप के 14 से 19 साल के बीच के 20 हजार युवाओं के बीच किए गए सर्वे से यह बात सामने आई है। 
  • नेट इस्तेमाल में खतरों को देखते हुए गूगल बज और फेसबुक सहित कई सोशल साइटों ने जानकारी को सीमित आधार पर शेयर करने का विकल्प अपने उपभोक्ताओं को दिया है। नेट पर सुरक्षित रहने के मामले में इंटरनेट एक्सप्लोरर ही आपका बेहतर मददगार है। इसके लिए आपको सैटिंग को सुरक्षित करना होगा।

  •   आप इंटरनेट एक्सप्लोरर के टूल्स पर क्लिक करें, इसके खुलने पर नीचे इंटरनेट ऑप्शंस पर क्लिक करें। इसके खुलने पर कंसोल ऑप्शन में जाकर सिक्योरिटी टैब पर क्लिक करें। सिक्योरिटी जोन में एक्टिव स्क्रिप्टिंग के लिए- इंटरनेट, लोकल इंटरनेट या स्ट्रिक्टिड पर जाकर विकल्प चुनें। बेहतर सुरक्षा के लिए कस्टम लेवल का चयन करें। ऑपशन में एक्टिव एक्स कंट्रोल और प्लग-इन्स को डिसेबल कर दें। इससे कुछ साइट्स का ठीक से काम करना प्रभावित होता है।
  •  इन दिनों फायर फॉक्स, गूगल क्रोम और एवीजी का फ्री वायरस प्रोटेक्शन आपके लिए मददगार हो सकता है। पॉपअप ब्लाक रख कर भी आप अनचाहे विज्ञापनों और सूचनाओं से छुटकारा पा सकते हैं।  
  •  एंटीवायरस का इस्तेमाल करें और उसे लगातार अपडेट करते रहें।

  •  थर्ड पार्टी को कुकीज डालने की छूट पर रोक लगाएं।

  •  अपने कंप्यूटर का महत्वपूर्ण डाटा अलग डिस्क या सीडी में सेव करते रहें।

  •   जब इस्तेमाल न कर रहे हों तो इंटरनेट कनेक्शन को डिसकनेक्ट करना न भूलें।

  •  किसी साइबर कैफे में जाएं तो अपनी टैंपरेरी इंटरनेट फाइलें उड़ाना न भूलें।

  •  किसी फाइल को डाउनलोड करने से आपके अपने अपडेटेड एंटी वायरस की कसौटी पर उसे परख लें। यह भी सुनिश्चित करें कि डाउनलोड की जाने वाली ऐप्लिकेशन सिक्योरिटी सर्टिफाइड अथॉरिटी से अनुमोदित हो। मसलन, यह वेरी साइंड से प्रमाणित हो तो इससे आप आश्वस्त हो सकते हैं। ऐसी ऐप्लिकेशंस जिनमें कोई सिक्योरिटी सर्टिफिकेट न हो आपके कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल को नुकसान पहुंच सकता है।
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नेट सर्फिंग में सुरक्षाइंटरनेट सर्फिग के दौरान हमेशा सावधान रहना चाहिए
, नहीं तो ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ वाला फार्मूला अपने रंग दिखाना शुरू कर देगा। न जाने किस साइट से और किस मेल के रूप में वॉयरस आपके कंप्यूटर को हानि पहुंचा दे, इससे हर कदम पर सावधान रहने की जरूरत है।


हालांकि सर्फिग के दौरान जो सामान्य सर्चइंजन और साइट्स आप इस्तेमाल करते हैं उनकी तरफ से भी अपनी साख और ग्राहकी बनाए रखने के लिए काफी इंतजाम किए जाते हैं। साखदार सर्च इंजन में तो नुकसान की आशंका वाली हर घातक साइट के बारे सूचना आपको दे दी जाती है कि यह साइट आपके कंप्यूटर को हानि पहुंचा सकती है। ऐसे में यह आप पर है कि उन साइट्स के आकर्षक होने और उपयोगी लगने पर भी आप संकट में फंसने से खुद को बचाएं।

पॉपअप ब्लॉक करें: इसी तरह पॉपअप के जरिए या थर्ड पार्टी डिमांड को बाधित करके भी आप अपने कंप्यूटर लैपटॉप और मोबाइल को हानिकारक साइटों के प्रकोप से बचा लकते हैं।

फिशिंग फिल्टर: एक अन्य उपाय यह है कि आपके इंटरनेट एक्सप्लोरर पर फिशिंग फिल्टर की व्यवस्था रहे, जिससे हर खुलने वाली साइट या नेट पन्ने के फालतू पॉपअप से आप अपने कंप्यूटर को सुरक्षित रख सकें।

लोकप्रिय नामों से बचें : हाल ही में कैटरिना और एसआरके जैसे नामों की खोज के दौरान हानिकारक वॉयरस ने बहुत से कंप्यूटरों को अपना निशाना बनाया था। यह वॉयरस इतना खतरनाक था उसने पूरी हार्डडिस्क क्षतिग्रस्त कर दी। गूगल की गलत स्पैलिंग या एमएसएन से मिलते-जुलते नाम से धोखा देते सर्चइंजन भी ईसर्फिग के दौरान हानि पहुंचाने का काम कर सकते हैं। इनसे परहेज करना चाहिए।
आकर्षण गेम्स : देखने में आया है कि ज्यादातर कंप्यूटरों में बेहद लुभाते गेम्स, लुभावने चित्रों और एडल्ट मैटिरियल में रुचि दिखाने के दौरान लोगों के कप्यूटर में खतरनाक वायरस आया। इनसे बचने में ही भलाई है।

रक्षक बने भक्षक: इंटरनेट सर्फिग के दौरान आपके कंप्यूटर को हानिकारक वॉयरस से बचाने का दावा करते पॉपअप भी सामने आते हैं। ये आपके कंप्यूटर को खतरे में बताते हुए संकटमोचक के रूप में एंटीवॉयरस प्रोग्राम मुफ्त डाउनलोड करने का न्योता देते हुए अवतरित होते हैं। इस बारे में हमारी सलाह यही है कि इनका कतई भरोसा न करें। ये आपके कंप्यूटर को हैक करने का काम भक्षक बन कर करते हैं।
आभारी c7i & Goggle आपका समीर

पढ़ने के बाद खुद मिट जाएगा एसएमएस

पढ़ने के बाद खुद मिट जाएगा एसएमएस



मोबाइल संदेशों को लेकर मुसीबत झेल चुकीं कई प्रसिद्ध हस्तियों के लिए एक नई प्रौद्योगिकी राहत लेकर आई है। इसमें संक्षिप्त संदेश सेवा (एसएमएस) एक बार पढ़ने के बाद खुद मिट जाएगा। इस नई सेवा का नाम 'सेफ टेक्स्ट' रखा गया है। एक स्थानीय

समाचार पत्र 'टेलीग्राफ' के अनुसार आगिल्वी एडवरटाइजिंग ने यह सेवा विकसित की है। कंपनी का कहना है कि एक दिन हर कोई 'सेफ टेक्स्ट' की सुविधा लेगा। कंपनी अपनी सेवा के साथ यह चेतावनी भी देती है कि उपयोगकर्ता के पास एमएमएस पढ़ने का

सिर्फ एक मौका है।

फ्रीवेयर, शेयरवेयर, ट्रायल, बीटा और ओपन सोर्स (मुफ्त सॉफ्टवेयर)

इंटरनेट पर कई तरह के सॉफ्टवेयर मुफ्त डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं। इनकी तीन-चार प्रमुख श्रेणियां हैं जिन्हें हम फ्रीवेयर, शेयरवेयर, ट्रायल, बीटा और ओपन सोर्स के रूप में जानते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, फ्रीवेयर पूरी तरह निशुल्क और बिना शर्त उपलब्ध कराए जाने वाले सॉफ्टवेयर हैं। शेयरवेयर नामक सॉफ्टवेयर एक निर्धारित अवधि तक पूरी तरह नि:शुल्क इस्तेमाल किए जा सकते हैं। उस अवधि में वे पूरी तरह सामान्य सॉफ्टवेयर की भांति काम करते हैं, लेकिन अवधि बीतने पर वे निष्क्रिय हो जाते हैं। सॉफ्टवेयरों को इस रूप में जारी करने का आशय है कि आप उन्हें खरीदने से पहले आजमा लें।

कुछ सॉफ्टवेयरों के ट्रायल वर्जन भी निशुल्क डाउनलोड किए जा सकते हैं, जैसे एडोब फोटोशॉप या पांडा एंटीवायरस। इन्हें भी कर सकते हैं। उसके बाद कुछ सॉफ्टवेयर तो पूरी तरह निष्क्रिय हो जाते हैं, जबकि कुछ (जैसे नॉर्टन एंटीवायरस) अपेक्षाकृत कमजोर फीचर्स के साथ काम जारी रखते हैं। सॉफ्टवेयर की दुनिया में ‘बीटा’ वर्जन का नाम बहुत सुना जाता है। बीटा सॉफ्टवेयर को मुफ्त दिए जाने का उद्देश्य उनका बड़े पैमाने पर परीक्षण करना है। प्राय: किसी सॉफ्टवेयर के पूर्ण संस्करण के बिक्री हेतु जारी होने से पहले कुछ अवधि के लिए उसका बीटा संस्करण उपलब्ध कराया जाता है। इस दौरान लोग उसे इस्तेमाल कर उसकी कमियों और संभावित सुधारों के बारे में अपने विचार संबंधित कंपनी को भेज सकते हैं। इस क्रिया में दोनों पक्षों को लाभ होता है। जहां आईटी कंपनियों को वास्तविक योक्ताओं का फीडबैक मिलता है, वहीं उपभोक्ता किसी अच्छे सॉफ्टवेयर को लांच होने से पहले ही, और मुफ्त में इस्तेमाल कर पाते हैं।

जहां तक ओपन सोर्स सॉफ्यवेटरों का संबंध हैं, वे पूरी तरह नि:शुल्क दिए जाने वाले सॉफ्टवेयर हैं जिन्हें प्रमोट करने के लिए इंटरनेट पर बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। लाइनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के अधिकांश सॉफ्टवेयर ओपन सोर्स के रूप में विकसित किए गए हैं। विंडोज, मैक और अन्य ऑपरेटिंग सिस्टमों के लिए भी ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर लाखों की संख्या में उपलब्ध हैं। ये फ्रीवेयर की ही तरह होते हैं, इनके फीचर्स या अवधि संबंधी कोई सीमा नहीं होती।
आभारी c7i

आ गया मोबाइल हैकर.. ज़रा बचके

आ गया मोबाइल हैकर 
सावधान मोबाइल पर की जा रही आपकी पर्सनल बातें कोई चोरी छिपे सुन सकता है। वह आपकी बातों से मिली जानकारी के आधार पर आपके एकाउंट से पैसे निकाले की फिराक में है। इसका मतलब है, आपका मोबाइल डेंजर जोन में है। दरअसल बात हो रही है, मोबाइल हैकरों की, जिनकी नजर आपके बैंक अकाउंट्स पर है। वह धोखे से आपसे जानकारी लेकर आपके ही एकाउंट्स से पैसे निकाल लेगा और आपको जब तक खबर लगेगी, वह रफूचक्कर हो जाएगा।


गौरतलब है कि देश में हर महीने 1.5 करोड़ मोबाइल खरीदे जाते हैं। इसलिए अब क्राइम की दुनिया में कंप्यूटरों के बाद मोबाइल फोन हैकरों की चांदी होने वाली है। दरअसल इन हैकरों को हाई वैल्यू डेटा स्टोरेज ने ललचाया है। चूंकि आजकल हम अपने पासपोर्ट नंबर, बैंक अकाउंट नंबर जैसे हाई वैल्यू डेटा फोन पर स्टोर करने लगे हैं, इसलिए हैकरों की निगाह कंप्यूटर से हटकर फोन पर टिक गई है। टेक्निकली कंप्यूटर की तुलना में मोबाइल को हैक करना ज्यादा आसान है, क्योंकि हम इनकी सुरक्षा को लेकर लापरवाह हैं। एक्सपर्ट्स की राय में इन हैकरों के निशाने पर स्मार्टफोन के साथ-साथ आम फोन भी हैं।

एंटी वायरस सॉफ्टवेयर बनाने वाली सिमेन्टेक इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि अभी तक मोबाइल पर हमला करने वाले 400 तरह के वायरस और नुकसान पहुंचाने वाले सॉफ्टवेयर की खोज हो चुकी है। कंप्यूटर के चार लाख वायरसों की तुलना में भले ही यह मामूली संख्या लगे, लेकिन इनसे खतरा उतना ही है। इन खतरों में शामिल स्मिशिंग, प्रैंकिंग, स्नूपवेयर, ब्लूजैकिंग और ब्लूस्नार्फिंग। स्मिशिंग के तहत हैकर एसएमएस या एमएमएस के साथ एक लिंक भेजता है। इसे क्लिक करने पर मोबाइल में वायरस इन्स्टॉल हो जाता है।

प्रैंकिंग में हैकर हैंडसेट पर पहले वायरस भेजता है। इसके बाद हैकर इस हैंडसेट से किसी वेबसाइट पर प्रीमियम एसएमएस भेजकर बैंक या क्रेडिट एकाउंट से पैसे विद-ड्रॉ कर लेता है। स्नूपवेयर सॉफ्टवेयर की मदद से हैकर स्मार्टफोन की कॉन्टेक्ट लिस्ट, एसएमएस को कॉपी करने से लेकर बातचीत तक सुन सकता है। वह आपका कैलंडर देखकर अंदाजा लगा सकता है, कि आपकी कौन सी बातचीत सुनने लायक है। ब्लूजैकिंग में ब्लूटूथ का इस्तेमाल करके हैकर किसी भी ब्लूटूथ वाले सेट पर एसएमएस या एमएमएस भेज सकता है। ब्लूस्नार्फिंग में भी ब्लूटूथ का इस्तेमाल होता है। इसके सहारे हैकर आपके मोबाइल में स्टोर जानकारी तक पहुंच रखने लगता है।

मोबाइल हैकिंग से बचने के लिए सावधानी बरतना जरूरी है। हालांकि सिमेन्टेक, कैस्परस्काई लैब जैसी एंटी वायरस बनाने वाली कंपनियां इनसे निपटने के उपाय सोच रही हैं। फिलहाल मोबाइल यूजर्स के लिए यह सुझाव है कि वह सावधानी बरतें, कंप्यूटर की तरह मोबाइल में पासवर्ड का इस्तेमाल करें। जरा सी भी असामान्य हरकत होते देख सावधान हो जाएं और मोबाइल चैक कराते रहें

ओपन सोर्स क्या है?.. देखिये

ओपन सोर्स क्या है?

 देखिये
आजकल लाइनेक्स, युबुंटु, मीगो, फेडोरा जैसे सोर्स कोड के साथ कई अच्छे ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) फ्री मिल रहे हैं। ओपन सोर्स का मतलब है कि सॉफ्टवेयर के साथ सोर्स कोड भी रिलीज किया जाए। कोई भी इस कोड को मॉडीफाई कर सकता है और अपने मुताबिक कस्टमाइज्ड सॉफ्टवेयर तैयार कर सकता है। गूगल एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर लाइनेक्स पर आधारित है और अपने विरोधी ओएस को कड़ी टक्कर दे रहा है। युबुंटु को www.ubuntu.com से डाउनलोड कर सकते हैं। ऐसे ही कुछ और ओपन सोर्स ऑल्टर्नेटिव हैं :

पॉपुलर सॉफ्टवेयर ओपन सोर्स ऑल्टरनेटिव

अडोब अक्रोबेट रीडर okular (http://okular.kde.org/download.phd)

अडोब पेजमेकर Scribus (http://www.scribus.net/)

अडोब फोटोशॉप CinePaint (http://www.cinepaint.org/)

ड्रीमवीवर KompoZer (http://www.kompozer.org)

फोन्टोग्राफर FontForge (http://fontforge.sourceforge.net/)

माइक्रोसॉफ्ट फ्रंटपेज Quanta Plus (http://quanta.kdewebdev.org/)

माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस OpenOffice (http://openoffice.org/)

माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक (एक्सप्रेस):-

Thunderbird (http://www.mozillamessaging.com/enUS/thunderbird/)

माइक्रोसॉफ्ट प्रोजेक्ट kplato (http://koffice.org/kplato/)

एमएसएन मेसेंजर पिडगिन Pidgin (http://pidgin.im)

नीरो बर्निंग रोम X-CD-Roast (http://www.xcdroast.org/)

विनैम्प ऑडेशियस (http://audacious-media-player.org/Main_Page)

विंडो मीडिया प्लेयर KPlayer (http://kplayer.sourceforge.net/)

 वीएलसी प्लेयर (http://www.videolan.org/vlc/)

विनजिप-7 ZIP (http://www.7-zip.org)

 अगर आप इन सॉफ्टवेयर्स का इस्तेमाल करते हैं तो आपको पेड सॉफ्टवेयर की जरूरत नहीं होगी। ये काफी अच्छे हैं। इनमें पेड सॉफ्टवेयर के जैसे बेहतर फीचर बेशक न हों, लेकिन इन टूल्स की मदद से प्रफेशनल काम किया जा सकता है।

सोर्सः एनबीटी

गूगल की नई सर्विस गूगल ‘इंस्टेंट’

दुनिया की जानी मानी सर्च इंजन कंपनी गूगल ने इंस्टेंट-सर्च सर्विस की शुरुआत कर दी है। गूगल ने अपनी इस नई सर्विस में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया है, जिससे गूगल पर एक शब्द को टाइप करने के बाद ये सर्च इंजन खुद ही आपको आगे के शब्दों का ऑप्शन देने लगेगा। यानी एक तरह से इस तकनीक के जरिए आपके दिमाग को पढ़ने की कोशिश की जाएगी। इतना ही नहीं इस सर्विस का इस्तेमाल करते हुए आपको शब्द टाइप करने के बाद ‘एंटर-की’ दबाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। गूगल के मौजूदा सर्च ऑप्शन में किसी शब्द को पकड़ने में 9 सेकेंड का वक्त लगता है और कई बार तो ये समय 30-40 सेकेंड तक पहुंच जाता है।

गूगल इंस्टेंट से ये काम 3 सेकेंड जल्दी पूरा हो जाएगा। फिलहाल दुनियाभर में एक अरब से ज्यादा लोग रोजाना गूगल सर्च इंजन का इस्तेमाल करते हैं। यानि की अब हर दिन हजारों घंटे के समय की बचत होगी। अमेरिका में गूगल इंस्टेंट सर्विस शुरू कर दी गई है और इसी हफ्ते है ये सर्विस ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और रूस में शुरू कर दी जाएगी। वहीं अगले हफ्ते इसे दुनिया बाकी देशों में भी शुरू कर दिया जाएगा। गूगल इंस्टेंट को क्रोम, फायरफॉक्स, सफारी और इंटरनेट एक्सप्लोरर 8 के साथ इस्तेमाल किया जा सकेगा।

क्या है डीमैट अकाउंट समझे ..



डीमैट अकाउंट  वह है जिसके जरिए शेयर बाजार में खरीदफरोख्त की जाती हैं। सिक्योरिटीज को फिजिकल फार्मेट में बदलने की प्रक्रिया को ‘डीमेटिरियलाइजेशन’ कहते हैं। और इसी का शार्ट फॉर्म ‘डीमैट’ है। कैसे खुलेगा डीमैट एकाउंट? डीमैट एकाउंट खुलवाना सेविंग अकाउंट खुलवाने जितना ही आसान है। आपको बस अपने पैन नंबर, बैंक स्टेटमेंट और सैलरी स्लिप के साथ डीमैट एकाउंट खुलवाने का फॉर्म भर कर जमा करवाना पड़ेगा। एकाउंट चालू होते ही आप शेयरों की खरीद-बिक्री कर सकते हैं। अकाउंट खुलवाने का खर्च 300-700 रुपये के बीच होता है। इसके अलावा आपको सालाना मेंटेनेन्स चार्ज भी देना पड़ेगा, जो अलग अलग कंपनियों के डीमैट पर अलग अलग होता है।
वैसे, आप एक साथ कई डीमैट अकाउंट रख सकते हैं। लेकिन एक कंपनी में आप अधिकतम तीन अकाउंट खुलवा सकते हैं। कई मामलों में तो एक से ज्यादा डीमैट अकाउंट रखना अनिवार्य हो जाता है। मसलन, अगर आपके नाम पर कुछ सिक्योरिटीज हैं और कुछ सिक्योरिटीज आपके परिवार के किसी दूसरे सदस्य के साथ ज्वाइंट हैं, तो आपको दो डीमैट अकाउंट्स की जरूरत पड़ेगी।
आभारी c7i

पिक्सल क्या है ?


आप जब भी किसी फोटो को देखते हैं, तो लगता है कि वह पूरी तरह से एक ही एलीमेंटस से बनी हुई है, लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल, जो भी पिक्चर या फोटो हम देखते हैं वह बहुत छोटे टुकड़ों या बिंदुओं से मिलकर बनी होती है, जिसे पिक्सल कहा जाता है। कंप्यूटर से लेकर तमाम डिजिटल उपकरणों पर दिखने वाली तस्वीरें इन्हीं पिक्सलों से मिलकर बनती हैं। लेकिन अहम बात यह है कि पिक्सल किसी भी फोटो को मापने का पैमाना नहीं है। जैसा कि कई बार कैमरों पर पिक्सल्स इंच दिया जाता है। सीधे तौर पर इसे इस तरह समझा जा सकता है कि जिस फोटो में जितने ज्यादा पिक्सल होंगे, वह फोटो उतनी ही ज्यादा स्पष्ट होगी। कंप्यूटर के मॉनीटर पर या टीवी स्क्रीन या कोई भी फोटो लाखों पिक्सल्स से मिलकर बनी होती है। हर एक पिक्सल आठ या उसके गुणक में रंग ग्रहण करता है। बिट को इसकी इकाई माना जाता है। अगर किसी पिक्सल में 24 बिट हैं, तो वह अधिकतम 16 लाख रंगों को दिखा सकता है। माना जाता है कि पिक्सल ही किसी फोटो की सबसे छोटी इकाई होते हैं, लेकिन ये पिक्सल भी कई छोटे तत्वों से मिलकर बने होते हैं। एक मॉनीटर का पिक्सल तीन रंगों के बिंदुओं से बने होते हैं ये रंग हैं ला, हरा और बैंगनी। ये तीनों रंग किसी पिक्सल में घुले मिले होते हैं। डिजिटल कैमरों के लिए मेगापिक्सल शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, जो पिक्सल से भी छोटी इकाई है। मेगापिक्सल्स कैमरों को बेहतर माना जाता है।
आभारी c7i 

शेयर मार्केट...

भारतीय कंपनियों की ग्लोबल होती छवि ने भारत के शेयर बाजार को भी चमका दिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी ने दुनिया की तमाम कंपनियों को भी भारतीय शेयर बाजारों में खुद को सूचीबद्ध कराने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसे में शेयर मार्केट का कारोबार तेजी से बढऩे से इसमें भारी संख्या में जॉब के अवसर पैदा हुए हैं। शेयर बाजार में भले ही उतार-चढ़ाव आता रहता हो, लेकिन जॉब के नजरिए से यह क्षेत्र लगातार बुलंदी की ओर जा रहा है।


भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों से प्राय: हर क्षेत्र में तरक्की कर रही है। पहले जहां विदेशी मल्टीनेशनल कंपनियां भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण करती थीं, वहीं अब इसका उलटा दिखाई दे रहा है। अब भारतीय कॉर्पोरेट कंपनियां (जैसे-मित्तल स्टील, टाटा, इन्फोसिस, विप्रो, रिलायंस आदि) तेजी से अपनी मल्टीनेशनल छवि बना रही हैं। इस क्रम में वे दुनिया की दिग्गज कंपनियों तक का अधिग्रहण कर रही हैं।

बिजनेस संबंधी गतिविधियां बढऩे से स्टॉक मार्केट की सरगर्मी भी बढ़ रही है और इससे संबंधित काम-काज मेट्रो शहरों के अलावा ग्रेड-बी सिटीज में भी तेजी से फैला है। लोगों में शेयर में पैसा लगाने की बढ़ती प्रवृत्ति इस कदर बढ़ रही है कि अब बड़ी कंपनियों के पब्लिक इश्यूज मार्केट में आते ही कुछ ही घंटों में ओवर सब्सक्राइब हो जाते हैं। पहले जहां शेयर मार्केट में सिर्फ बड़े निवेशक ही पैसा लगाते थे, वहीं अब आम लोग भी तेजी से पैसा बनाने के लिए भारी तादाद में निवेश करने लगे हैं।

शेयर बाजार की गतिविधियां बढऩे से इस क्षेत्र में स्टॉक ब्रोकर्स, कैपिटल मार्केट एक्सपट्र्स, कैपिटल मार्केट स्पेशलिस्ट, इकोनॉमिस्ट, अकाउंटेंट्स, फाइनेंशियल एनालिस्ट, इंडस्ट्री स्पेशलिस्ट, इंवेस्टमेंट व फाइनेंशियल प्लानर्स, फाइनेंशियल स्पेशलिस्ट आदि की मांग खूब बढ़ गई है। इस बाजार में फाइनेंशियल लेखे-जोखे और अकूत पैसों का काम होने के कारण इन सभी प्रोफेशनल कार्यों के लिए कमाई भी खूब होती है। यही कारण है कि सक्षम युवा इस क्षेत्र के प्रति तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। खास बात यह है कि युवा ग्रेजुएशन के बाद स्टॉक मार्केट से संबंधित कोई भी कोर्स करके स्टॉक ब्रोकिंग फर्म से जुड़ सकते हैं। दो साल का अनुभव हासिल करने के बाद वे अपना काम भी शुरू कर सकते हैं। सब-ब्रोकिंग का काम बारहवीं पास युवा भी कुछ अनुभव हासिल करने के बाद कर सकते हैं।

क्या है स्टॉक मार्केट?


स्टॉक एवं शेयर सरकारी और निजी कंपनियों द्वारा जनता से पैसा जुटाने का एक माध्यम है, जबकि स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसा मार्केट है, जहां स्टॉक ब्रोकर्स शेयर्स, डिबेंचर्स, गवर्नमेंट्स सिक्युरिटीज, बॉन्ड्स आदि लोगों व संस्थाओं को बेचते तथा खरीदते हैं। दो दशक पहले तक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) देश का पहला और एकमात्र स्टॉक एक्सचेंज था। नेशनल स्टॉक एक्सचेेज (एनएसई) की स्थापना 1994 में दिल्ली में हुई थी, जो देशभर के निवेशकों को कारोबार करने की सुविधा प्रदान करता है। आज स्टॉक एक्सचेंज करीब-करीब देश के सभी महानगरों में हैं।


इसके अलावा ग्रेड-बी शहरों से भी शेयर का कारोबार होता है। इनमें कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरु, अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ आदि में स्थित एक्सचेंज प्रति दिन करोड़ों-अरबों का कारोबार करते हैं। दिल्ली में दिल्ली स्टॉक एक्सचेंज भी है। इसके अलावा छोटे शहरों में भी सब-ब्रोकर शेयरों की खरीद-फरोख्त का काम करते हैं। इस तरह मुंबई से लेकर छोटे शहरों तक इस कारोबार के फैलने के चलते इन सभी जगहों पर बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। अगर आप अपने शहर या उसके पास ही स्टॉक मार्केट से संबंधित काम करना चाहते हैं, तो अब यह विकल्प भी आपके पास है। इसके लिए मुंबई और दिल्ली जाना जरूरी नहीं है।

तरह-तरह के हैं काम

स्टॉक मार्केट में वित्तीय लेखे-जोखे, रिसर्च और बाजार के आकलन से जुड़े तमाम तरह के काम हैं। आइए डालते हैं इन पर एक नजर, ताकि आप इनमें से अपनी पसंद के कामों को जान और समझ सकें...


स्टॉक ब्रोकर्स


इनका काम इस मार्केट का सबसे बड़ा काम है, जिसमें सबसे ज्यादा लोगों की जरूरत होती है। दरअसल, स्टॉक बोकर्स और कैपिटल मार्केट एक्सपट्र्स क्वालिफाइड विशेषज्ञ होते हैं, जो शेयरों की खरीद और बिक्री के बारे में सलाह देते हैं। इस तरह का सलाह देने वाली ब्रोकिंग कंपनियां भी होती हैं, जहां इकोनॉमिस्ट, अकाउंटेंट्स, फाइनेंशियल एनालिस्ट, इंडस्ट्री स्पेशलिस्ट्स और अन्य प्रोफेशनल्स काम करते हैं।


कैपिटल मार्केट स्पेशलिस्ट

ऐसे विशेषज्ञ आमतौर पर म्यूचुअल फंड्स और फाइनेंशियल इंवेस्टमेंट कंपनियों में काम करते हैं। ये सामान्यतया मार्केट में उभरते ट्रेंड पर नजर रखते हुए पूंजी निवेश संबंधी सलाह देते हैं।

सिक्युरिटी एनालिस्ट

सिक्युरिटी एनालिस्ट इनवेस्टमेंट एडवाइजर के रूम में ब्रोकरेज फर्मों, बैंकों, इंश्योरेंस कंपनियों तथा अन्य बड़ी वित्तीय संस्थाओं में मार्केट और इंडस्ट्री के बारे में सही-सटीक जानकारी के लिए नियुक्तकिए जाते हैं। इस तरह का काम आमतौर पर इकोनॉमिक्स या कॉमर्स ग्रेजुएट करते हैं।


इनवेस्ट मैनेजर्स

यह आर्थिक नीतियों के आलोक में इंडस्ट्री की प्रगति का आकलन और मॉनिटरिंग करते हैं।


सिक्युरिटी रिप्रेजेंटेटिव


अधिकांश फम्र्स सिक्युरिटी रिप्रेजेंटेटिव की नियुक्ति करती हैं, जो नए ग्राहकों का अकाउंट खोलने और शेयरों की खरीद तथा बिक्री के बारे में जरूरी जानकारी मुहैया कराते हैं।


मार्केटिंग ऐंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव


इंस्टीट्यूशनल अकाउंट्स खोलने, बॉन्ड्स, म्यूचुअल फंड्स आदि की बिक्री के लिए मार्केटिंग और सेल्स रिप्रेजेंटेटिव भी नियुक्त किए जाते हैं।


खुद बन सकते हैं ब्रोकर


प्रोफेषनल क्वालिफिकेशन प्राप्त करने के बाद आप स्टॉक ब्रोकिंग फर्म या स्टॉक एक्सचेंज ज्वाइन कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ अनुभव हासिल करने के बाद आप अपनी फाइनेंशियल एजेंसी या ब्रोकिंग या सब-ब्रोकिंग फर्म भी चला सकते हैं। किसी स्टॉक एक्सचेंज में एक ब्रोकर के रूप में मेंबरशिप लेने के लिए मेंबरशिप फीस के अलावा सिक्युरिटी डिपाजिट देनी होती है, जो समय-समय पर बदलती रहती है। इसके अलावा सिक्युरिटी मार्केट में काम करने का कम से कम दो साल का अनुभव भी होना चाहिए।


कुछ खास हो क्वालिटी


इस क्षेत्र में प्रवेश करने की चाहत रखने वाले युवाओं में स्टॉक एक्सचेंज और मनी मार्केट की बारीकियों तथा वित्तीय लेन-देन की समझ होना बेहद जरूरी है। देश के अलग-अलग एक्सचेंजों में अलग-अलग नियम हैं, ऐसे में उन सभी के कार्य करने के तरीके को समझना भी जरूरी है।


कैसे पाएं एंट्री?


वैसे तो कॉमर्स या इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट इस फील्ड में आसानी से एंट्री पा सकते हैं, लेकिन अच्छा काम करने और तरक्की के लिए उन्हें स्टॉक मार्केट से संबंधित कोर्स भी कर लेना चाहिए। बड़ी ब्रोकिंग कंपनियां उन एमबीए डिग्री धारी युवाओं को प्राथमिकता देती हैं, जिन्होंने फाइनेंस में स्पेशलाइजेशन किया हो। वैसे, उन्हें भी वरीयता दी जाती है, जो पोस्ट ग्रेजुएट होने के साथ-साथ कैपिटल मार्केट, स्टॉक्स और सिक्युरिटी या फाइनेंशियल मैनेजमेंट से संबंधित कोई अन्य कोर्स किए होते हैं।


कैपिटल मार्केट, स्टॉक्स और सिक्युरिटीज में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम देश के कुछ चुनिंदा विश्वविद्यालयों और संस्थानों में उपलब्ध है, जबकि कॉमर्स और इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स देश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में उपलब्ध है। स्टॉक मार्केट में एक रिसर्चर के रूप में काम करने के लिए वित्तीय मामलों की गहन जानकारी होनी चाहिए। फाइनेंस क्षेत्र में इक्विटी रिसर्च का काम बेहद विशेषज्ञता वाला है, जिसके लिए फाइनेंस में एमबीए या चार्टर्ड अकाउंटेंट की मांग की जाती है।


कहां हैं काम?


अगर आप स्टॉक मार्केट में करियर बनाने के इच्छुक हैं और आवश्यक योग्यता हासिल कर चुके हैं, तो फिर इस क्षेत्र में आकर्षक जॉब आपका इंतजार कर रहा है। आप अपनी पसंद और योग्यता के अनुसार इस फील्ड में कई जगहों पर प्रयास कर सकते हैं, जैसे-स्टॉक एक्सचेंज, सिक्युरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस, इनवेस्टमेंट बैंक्स आदि। इसके अलावा आप अपनी फाइनेंशियल कंसल्टिंग कंपनी भी खोल सकते हैं।


कमाई है आकर्षक

स्टॉक मार्केट और इससे जुड़े क्षेत्रों में कमाई बेहद आकर्षक है। कॉमर्स या इकोनॉमिक्स ग्रेजुएट्स को इस क्षेत्र में शुरुआत में ही 10 से 15 हजार रुपये की मासिक आमदनी हो सकती है, जबकि पोस्टग्रेजुएट्स की कमाई इससे ज्यादा हो सकती है। कैपिटल मार्केट स्टडीज में पोस्ट ग्रेजुएट्स की आरंभिक कमाई 20 से 25 हजार प्रतिमाह हो सकती है। अनुभव बढऩे के साथ इनकम में बढ़ोत्तरी होती जाती है। कुछ कंपनियां अपने प्रॉफिट में से भी कर्मचारियों को शेयर करती हैं।


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आपका ईमेल आईडी, पासवर्ड, नेट बैंकिंग कोड वगैरह सेफ हैं तो नींद से जागिए।

सावधान! अगर आप रोजाना की जिंदगी में इंटरनेट यूज करते हैं और मानते हैं कि आपका ईमेल आईडी, पासवर्ड, नेट बैंकिंग कोड वगैरह सेफ हैं तो नींद से जागिए। आपको बता दें कि वेब जगत में उन सारी चीजों के लिए बाकायदा एक अंडडरग्राउंड मार्केट मौजूद है जिन्हें आप बेहद सेफ मानते हैं। आपको पता भी नहीं होगा, पर इस अंडरग्राउंड बाजार में आपके ईमेलआईडी, मोबाइल नंबर, बैंकिंग पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर, मेलिंग अड्रेस आदि तमाम चीजों बिक्री के लिए उपलब्ध होंगी। यहां हम इस अंडरग्राउंड ई कॉमर्स क्रैकर्स मार्केट की प्रॉडक्ट वाइज रेट लिस्ट दे रहे हैं -

 सीवीवी डेटा सेट्स - 1.50 डॉलर से 3.00 डॉलर (सीवीवी डेटा सेट्स में क्रेडिट कार्ड 16 डिजिट नंबर, पैन नंबर, सीवीवी 2 कोड, एक्सपायरिंग डेट, बिलिंग अड्रेस और दर्ज नाम आते हैं।)

 एसएसएन (सोशल सिक्युरिटी नेटवर्क) डेट ऑफ बर्थ - 1.00 - 3.00 डॉलर एसएसएन - 1.00 - 3.00 डॉलर ये पर्सनल डिटेल्स अक्सर बैंकों द्वारा किसी शख्स की प्रामाणिकता जांचने के लिए पूछे जाते हैं।

फुल्स' डेटा सेट 5 - 20 डॉलर प्रति सेट 'फुल्स' सूचनाओं में फुल डिटेल्स, यूजरनेम, पासवर्ड, मेलिंग अड्रेस, कार्ड नंबर, सीवीवी 2 कोड, कार्ड का एक्सपायरेशन डेट, एमएमएन, डीओबी, एसएसएन आते हैं।

फर्जी फोन कॉल्स 10.00 - 15.00 डॉलर प्रति कॉल (कॉल्स डेस्टिनेशन के हिसाब से) ऐसी कॉल सेवाएं साइबर क्रिमिनल को मुहैया कराई जाती हैं और इनका मकसद होता है उस शख्स के लिए भाषा की समस्या को दूर करना जिसे किसी अकाउंट होल्डर की आवाज की नकल करनी होती है।

फोन / एसएमएस फ्लडी सर्विस 25.00 - 40.00 डॉलर प्रति 24 घंटे फोन फ्लडिंग का मकसद होता है किसी कन्ज्यूमर के मोबाइल को बिजी रखना ताकि बैंक से आने वाली ऑथेंटिकेशन कॉल या एसएमएस उस तक न पहुंचे। यह सूची काफी लंबी हो सकती है। मगर, मतलब इस बात से है कि इन तमाम सेवाओं के चलते इंटरनेट सहूलियतें आपके लिए खतरनाक हो सकती हैं। इसलिए इनका इस्तेमाल करते हुए अतिरिक्त सावधानी बरती जानी चाहिए।

आभारी NBT

एचटीसी डिजायर एचडी व जेड

एचटीसी डिजायर एचडी व जेड
स्मार्टफोन बनाने वाली ताइवान की कंपनी एचटीसी ने अपने लेटेस्ट एंड्रॉयड फोन डिजायर का नया वर्जन 'डिजायर एचडी' और 'जेड' पेश किए हैं। इसके अलावा कंपनी पहली बार सर्विस सेगमेंट में भी आ रही है और उसने htcsense.com के साथ इसकी शुरुआत की है। इस सर्विस की मदद से आप अपने खोए फोन को कंप्यूटर पर मैप में ढूंढ सकते हैं, फोन साइलेंट भी है तो उसकी इमरजेंसी रिंग जोर से बजा सकते हैं, दूर से ही फोन को लॉक कर सकते हैं, रिमोट लोकेशन से कॉल और एसएमएस किसी दूसरे नंबर पर फॉरवर्ड कर सकते हैं और रिमोट वाइप से डेटा डिलीट कर सकते हैं। एचटीसी डिजायर एचडी में 4.3 इंच की एलसीडी स्क्रीन, एक गीगा हर्ट्ज का प्रोसेसर, 8 मेगापिक्सल कैमरा डबल एलईडी फ्लैश के साथ और एचडी विडियो रिकॉर्डिंग फीचर हैं। एचटीसी डिजायर जेड में 3.7 इंच की टचस्क्रीन के अलावा क्वर्टी की-पैड अलग से दिया गया है, साथ ही सोशल नेटवर्किंग टूल्स पर जोर है। इसके अलावा ऑटो फ्लैश के साथ पांच मेगापिक्सल कैमरा और 800 मेगार्हट्ज का क्वालकॉम प्रोसेसर है। ये दोनों फोन फिलहाल नवेम्बर  के आखिर तक यूरोप और एशिया में फिर उसके बाद अमेरिका में आएंगे। कीमत पर अभी कोई संकेत नहीं मिला है।
आभारी NBT 

इंटरनेट एक्सप्लोरर का लेटेस्ट वर्जन

इंटरनेट एक्सप्लोरर का लेटेस्ट वर्जन
माइक्रोसॉफ्ट अपने इंटरनेट एक्सप्लोरर का नया वर्जन आईई 9 ला रही है। 15 सितंबर को इसका टेस्ट बेटा वर्जन लाने का ऐलान किया गया है। कहा जा रहा है कि यह आईई 8 के मुकाबले ज्यादा फास्ट और सेफ होगा। इसके अलावा ग्राफिक डिस्प्ले में भी यह बेहतर रहेगा। माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक अभी मौजूदा ब्राउजर से जब हम किसी वेबसाइट पर जाते हैं तो वह ब्राउजर के बॉक्स में आती है लेकिन आईई 9 बैकग्राउंड में रहेगा और पूरा स्पेस वेबसाइट को देगा। इसमें टेक्स्ट और ग्राफिक्स की रेंडरिंग को सीपीयू के ग्राफिक कार्ड के जरिये किया जाएगा यानी फास्ट स्पीड मिलेगी। माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि दूसरे ब्राउजर के उलट यह उसके ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ इंटीग्रेट होगा और बेहतर परफॉर्मेंस देगा। गूगल को टक्कर देने के लिए माइक्रोसॉफ्ट बिंग सर्च इंजन को भी ज्यादा बेहतर ढंग से इंटीग्रेट करने जा रही है। अभी हम आईई 9 को टेस्ट नहीं कर पाए हैं लेकिन जल्द ही हम इसकी पूरी रिपोर्ट आप तक लाएंगे। आईई का मार्केट शेयर 51 पर्सेंट है, मॉजिला फायरफॉक्स 31 पर्सेंट के साथ दूसरे नंबर का ब्राउजर और 11 पर्सेंट के साथ क्रोम तीसरे नंबर पर है। 
INTERNET EXPLORER 9

आभारी NBT

Monday, September 20, 2010

E Banking Presentation

E Banking Presentation

कुछ अजीब-सा खेल है टीआरपी का..

टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग पॉइंट) को सब समझते हैं। टीवी प्रोग्राम को मिलने वाले दर्शकों की संख्या से जुड़ा यह तकनीकी शब्द जिस तरह प्रचलित हुआ है, वैसा प्रिंट मीडिया की प्रसार संख्या बताने वाला शब्द "एबीसी" नहीं, जिसका फुलफार्म है ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन।
टीवी को लेकर एक मुहावरा बना है कि फलाँ चैनल टीआरपी के लिए विवाद दिखा रहा है। मगर कभी यह नहीं कहा गया कि फलाँ अखबार ने ऐसी खबर "एबीसी" के लिए छापी। इसका एक कारण तो यह कि जब प्रिंट मीडिया उभार पर था, उस समय पाठकों की जागरूकता इतनी नहीं थी। दूसरा कारण यह कि प्रिंट मीडिया शुरू से संयत रहा है। अखबार की छपी हुई प्रतियाँ गिनकर और बीसियों रजिस्टर चेक करके यह प्रमाणित किया जाता है कि किस अखबार की कितनी प्रतियाँ निकलती हैं। इसके आधार पर ही विज्ञापन कंपनियाँ किसी अखबार को विज्ञापन देती (या नहीं देती) हैं। एबीसी में कभी ऐसा घपला नहीं हुआ कि कोई बड़ा विवाद पैदा हो, मगर टीआरपी को लेकर ऐसा विवाद पैदा हो रहा है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने पिछले दिनों बयान दिया था कि टीआरपी तय करने वाली संस्था की मिलीभगत एक विज्ञापन कंपनी से है। एसी नीलसन नाम की कंपनी द्वारा केवल सात हजार घरों में मशीन लगाई गई है, जहाँ पर किस चैनल को कितना देखा गया, किस समय देखा गया, यह मालूम पड़ता है। इन मशीनों को टैम (टीवी ऑडियंस मीटर) कहा जाता है।
टैम के आँकड़ों के आधार पर तय होता है कि किस चैनल को कितना देखा जा रहा है। यह एक तरह से चुनाव के बाद की जाने वाली रायशुमारी की तरह है जिसे ऑडियंस पोल कहा जाता है। हम सब जानते हैं कि ऑडियंस पोल कितनी बार नाकाम हुए हैं। छोटे शहरों, कस्बों और गाँवों के करोड़ों घरों की पसंद-नापसंद का फैसला केवल सात हजार शहरी घरों से कैसे किया जा सकता है? कोढ़ में खाज यह कि इस पर भी बेईमानी का आरोप लग गया है।

इस टीआरपी से बहुत कुछ तय होता है। हर शुक्रवार आने वाली रेटिंग जानकर बहुत से शो की कहानियाँ लिखी जाती हैं। किरदारों का काम घटाया या बढ़ाया जाता है। टीवी उद्योग का बहुत कुछ इसी टीआरपी से चलता है। ऐसे में इसे जितना पारदर्शी होना चाहिए, उतना पारदर्शी यह है नहीं। सुकून देने वाली बात यह है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय फिलहाल टैम की जाँच कर रहा है। उधर एक और कंपनी है, जो रेटिंग के लिए आना चाहती है और वादा कर रही है कि पारदर्शिता के साथ काम करेगी। देखना है कि यह कैसे होता है, कब तक होता है।
आभारी वेबदुनिया 

WORLD TOP 10 UNIVERSITY:-

WORLD TOP 10 UNIVERSITY:-

हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, युनाइटेड किंग्डम

येल यूनिवर्सिटी, यूएसए

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन, यूके

इम्पीरियल कॉलेज लंदन, यूके

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूके

शिकागो यूनिवर्सिटी, यूएसए

प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी, यूएसए

मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए

कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए

कोलंबिया यूनिवर्सिटी, यूएसए

पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी, यूएसए

जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, यूएसए

ड्यूक यूनिवर्सिटी, यूएसए

कॉरनेल यूनिवर्सिटी, यूएसए

स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया

मैकगिल यूनिवर्सिटी, कनाडा

मिचिगन यूनिवर्सिटी, यूएसए

एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी, यूके

ईटीएच ज्यूरिख, स्विटजरलैंड

टोक्यो यूनिवर्सिटी, जापान

किंग्स कॉलेज लंदन, यूके

हांगकांग यूनिवर्सिटी, हांगकांग

क्योटो यूनिवर्सिटी, जापान

मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी, यूके

कारनेगी मेलन यूनिवर्सिटी, यूएसए

ईकॉल नोरमेल सुपीरियर, पेरिस, फ्रांस

टोरंटो यूनिवर्सिटी, कनाडा

नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर, सिंगापुर

ब्राउन यूनिवर्सिटी, यूएसए

नॉर्थ-वेस्टर्न यूनिवर्सिटी, यूएसए

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, लॉस एंजिल्स, यूएसए

ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी, यूके

हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, हांगकांग

सिडनी यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया

एकोल पॉलीटेक्निक, फ्रांस

मेलबर्न यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले, यूएसए

ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी, कनाडा

क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया

फेडरल पॉलीटेक्निक स्कूल ऑफ लौसेन, स्विट्जरलैंड

ट्रिनिटी कॉलेज, डबलिन, आयरलैंड

ओसाका यूनिवर्सिटी, जापान

मोनास यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया

द चाइनीज यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग, हांगकांग

सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी, द. कोरिया

न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया

एम्सटर्डम यूनिवर्सिटी, नीदरलैंड

सिंगुआ यूनिवर्सिटी, चीन

कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी, डेनमार्क

पिकिंग यूनिवर्सिटी, चीन

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी, यूएसए

बोस्टन यूनिवर्सिटी, यूएसए

टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जापान

टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख, जर्मनी

हेडेलबर्ग यूनिवर्सिटी, जर्मनी

वारविक यूनिवर्सिटी, यूके

अल्बर्टा यूनिवर्सिटी, कनाडा

लेडेन यूनिवर्सिटी, नीदरलैंड

ऑकलैंड यूनिवर्सिटी, न्यूजीलैंड

विस्कॉसिन मेडिसीन यूनिवर्सिटी, यूएसए

आरहुस यूनिवर्सिटी, डेनमार्क

इलिनॉयस यूनिवर्सिटी, यूएसए

कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ लेवयिन, बेल्जियम

बर्मिंघम यूनिवर्सिटी, यूके

लूंड यूनिवर्सिटी, स्वीडन

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, यूके

कोरिया एडवांस इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, द. कोरिया

यॉर्क यूनिवर्सिटी, यूके

यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी, नीदरलैंड

जेनेवा यूनिवर्सिटी, स्विट्जरलैंड

नयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, सिंगापुर

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, यूएसए

उपसाला यूनिवर्सिटी, स्वीडन

टैक्सास यूनिवर्सिटी, यूएसए

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सेन डियागो, यूएसए

नॉर्थ केरोलिना यूनिवर्सिटी, यूएसए

ग्लासगो यूनिवर्सिटी, यूके

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, यूएसए

एडिलेड यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया

शेफील्ड यूनिवर्सिटी, यूके

डेल्फेट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, नीदरलैंड

वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया

डार्टमाउथ कॉलेज, यूएसए

जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए

सेंट एंड्रूज यूनिवर्सिटी, यूके

परड्यू यूनिवर्सिटी, यूएसए

यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन, आयरलैंड

ईमोरी यूनिवर्सिटी, यूएसए

नॉटिंघम यूनिवर्सिटी, यूके

नागोया यूनिवर्सिटी, जापानन

ज्यूरिख यूनिवर्सिटी, स्विट्जरलैंड

फ्री यूनिवर्सिटी ऑफ बर्लिन, जर्मनी

नेशनल ताइवान यूनिवर्सिटी, यूएसए

साउथेम्पटन यूनिवर्सिटी, यूके

टोहोकू यूनिवर्सिटी, जापान

लुडविंग मैक्लिमिलन यूनिवर्सिटी, जर्मनी

लीड्स यूनिवर्सिटी, यूके

राइस यूनिवर्सिटी, यूएसए
आभारी  जन्दुनिया 

Affiliate Marketting(संबद्ध विपणन)

संबद्ध विपणन


संबद्ध विपणन की अवधारणा का उदाहरण
:Internet Marketing संबद्ध विपणन एक ऐसा विपणन (मार्केटिंग) तरीका है जिसमें व्यापार द्वारा, एक या एकाधिक संबद्ध सहयोगियों के विपणन प्रयासों के परिणाम स्वरुप आये आंगतुक या ग्राहक हेतु उसे पुरस्कृत किया जाता है. इसके उदाहरण में पुरस्कार स्थान या क्षेत्र शामिल है, जहाँ किसी प्रस्ताव की समाप्ति पर या क्षेत्र में अन्य व्यक्तियों को भेजने हेतु प्रयोक्ताओं को नकद या उपहार द्वारा पुरस्कृत किया जाता है. इस उद्योग में चार प्रमुख खिलाड़ी होते हैं: व्यापारी (जिसे 'रीटेलर' या "ब्रांड" के नाम से भी जाना जाता है), नेटवर्क, प्रकाशक (जिसे 'संबद्ध' के नाम से भी जाना जाता है), एवं ग्राहक. संबद्ध प्रबंधन एजेंसियां, सुपर संबद्ध एवं विशेष तृतीय पक्ष वेंडर सहित माध्यमिक (द्वितीयक) खिलाड़ियों को प्रमाणित करने के लिए बाज़ार ने जटिलता में विकास किया है.
संबद्ध विपणन प्रायः कुछ हद तक अन्य इंटरनेट विपणन तरीकों को ढ़ांकता या आच्छादित करता है क्योंकि संबद्ध प्रायः नियमित विपणन तरीकों का प्रयोग करते हैं. इन तरीकों में आर्गेनिक सर्च इंजन ऑप्टीमाइजेशन, पेड सर्च इंजन मार्केटिंग, इ-मेल मार्केटिंग, और कुछ में डिस्प्ले विज्ञापन शामिल हैं. दूसरी ओर, संबद्ध कई बार कम रूढ़िगत तकनीकों का प्रयोग करते हैं जैसे एक सहभागी द्वारा दी गयी सेवाओं या उत्पादों की समीक्षा का प्रकाशन.
संबद्ध विपणन - एक वेबसाइट का प्रयोग करते हुए अन्य की ओर यातायात मोड़ना - ऑनलाइन विपणन का एक रूप है, जिस पर विज्ञापन दाताओं द्वारा अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता. [१] जबकि सर्च इंजन, ई-मेल एवं वेबसाइट सिंडीकेशन ऑन लाइन रीटेलरों का ध्यान अधिक आकृष्ट करते हैं, संबद्ध विपणन तुलनात्मक रूप से कम ध्यान आकृष्ट करता है. लेकिन फिर भी, ई-रीटेलरों की विपणन योजनाओं में संबद्ध की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है.
आभारी विकिपीडिया

ई-कॉमर्स होता क्या है

ई-कॉमर्स

इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स , सामान्यतः ए के नाम से जाना जाता है या वाणिज्य eCommerce , में की खरीद और बिक्री के उत्पादों या सेवाओं पर इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों जैसे कि इंटरनेट और अन्य कंप्यूटर नेटवर्क है . व्यापार की मात्रा में असाधारण वृद्धि हुई है आयोजित इलेक्ट्रॉनिक के प्रसार के बाद से इंटरनेट पर है . अनेक वाणिज्य में आयोजित इस तरह है , और spurring बैठक में नवाचार पर इलेक्ट्रॉनिक धन हस्तांतरण , आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन , इंटरनेट का विपणन , ऑनलाइन व्यवहार प्रसंस्करण , इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज ( ईडीआई ) , प्रबंधन सिस्टम सूची , और डेटा संग्रह प्रणाली स्वचालित है . आधुनिक आमतौर इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के वर्ल्ड वाइड वेब का उपयोग करता है पर कम से कम कुछ बिन्दु में लेनदेन के lifecycle है , हालांकि यह एक व्यापक श्रेणी के कर सकते हैं घेरना प्रौद्योगिकियों जैसे ईमेल भी है . एक बड़ा प्रतिशत है आयोजित इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के लिए पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक आभासी मदों के रूप में इस तरह की सामग्री का उपयोग करने के लिए प्रीमियम पर एक वेबसाइट है , लेकिन इसमें सबसे इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के परिवहन के भौतिक वस्तुओं में से कुछ रास्ता है . ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं हैं कभी कभी ए के नाम से जाना जाता है और ऑनलाइन tailers खुदरा है कभी कभी ए के नाम से जाना जाता है पूँछ होती है . खुदरा विक्रेताओं ने लगभग सभी बड़े इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के वर्ल्ड वाइड वेब पर उपस्थिति है .
इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के बीच आयोजित की है कि व्यवसाय के रूप में निर्दिष्ट है , व्यापार या व्यवसाय से B2B . B2B के लिए खुला हो सकता है सभी इच्छुक पार्टियों ( जैसे वस्तु विनिमय ) या विशेष तक ही सीमित है , पूर्व भाग लेने योग्य ( इलेक्ट्रॉनिक निजी बाजार ) .
इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स है आमतौर पर माना पहलू की बिक्री के व्यापार ए . में यह भी मुद्रा के आंकड़ों को सुविधाजनक बनाने के लिए वित्त पोषण के पहलुओं के व्यापार और भुगतान लेनदेन .

ऑनलाइन बैंकिंग

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सुरक्षा टोकन उपकरण
नेट बैंकिग जिसे ऑनलाइन बैंकिंग या इंटरनेट बैंकिंग भी कहते हैं, के माध्यम से बैंक-ग्राहक अपने कंप्यूटर द्वारा अपने बैंक नेटवर्क और वेबसाइट का प्रचालन कर सकते है। इस प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ है कि कोई भी व्यक्ति घर या कार्यालय या कहीं से भी से बैंक सुविधा का लाभ उठा सकता है। ऑनलाइन बैंकिंग इंटरनेट पर बैंकिंग संबंधी मिलनेवाली एक सुविधा है, जिसके माध्यम से कंप्यूटर का इस्तेमाल कर उपभोक्ता बैंकों के नेटवर्क्स और उसकी वेबसाइट पर अपनी पहुंच बना सकता है और घर बैठे ही खरीददारी, पैसे का स्थानांतरण के अलावा अन्य तमाम कार्यों और जानकारी के लिए बैंकों से मिलने वाली सुविधा का लाभ उठा सकता है।[१] भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये गए शुरुआती आंकड़ों के अनुसार अप्रैल २००८ से जनवरी २००९ तक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ५५.८५८५ करोड़ रुपए का लेनदेन किया गया।[२]फिशिंग द्वारा तकनीक के दुरुपयोग से इंटरनेट के जालसाज लोगों के खातों को हैक कर उन्हें हानि पहुंचा रहे हैं।[३] ऐसे में आवश्यक है कि नेट बैंकिंग के प्रयोग में अत्यंत सावधानियां बरती जाएं। नेट बैंकिंग का प्रयोग करते हुए उपयोक्ता को यूआरएल की जांच कर लेनी चाहिये। कई रिपोर्ट द्वारा ये पुष्टि होती है, कि प्रयोग की जाने वाली ५० प्रतिशत वेबसाइट असुरक्षित होती हैं। ऐसे में नेट सर्फिंग करने वाले व्यक्ति के लिये से यह अत्यंत आवश्यक है कि वह पूरी जाँच के उपरांत ही वेबसाइट खोले। किसी भी साइट के यूआरएल पते और डोमेन जांच करें और देखें कि यह उसी बैंक के यूआरएल और डोमेन की तरह हो, ऐसे में यह संभावना काफी हद तक प्रबल हो जाती है कि उपयोक्ता सुरक्षित वेबसाइट का प्रयोग कर रहे हैं। नेट बैंकिंग सेवा का प्रयोग करने वालों को इसे प्रत्येक तीन दिनों में जांचते रहना चाहिये। किन्तु इस लाभ पर प्रश्वनिह्न भी लग जाता है, जब आजकल

ऑनलाइन बैंकिंग में क्रेडिट कार्ड का भी प्रयोग किया जा सकता है
इसके साथ ही उपयोक्ता को चाहिये कि वे इस सेवा का बाहर प्रयोग न करें। नेट बैंकिंग के लिए इंटरनेट कैफे[३] प्रायः लोग ब्राउजर बंद कर कंप्यूटर सीधे बंद कर देते हैं जो असुरक्षित हो सकता है। हमेशा कंप्यूटर सिस्टम ठीक से लॉग ऑफ करें।[१] इसके अलावा अपने पासवर्ड का पूरा एवं उचित व सुरक्षित उपयोग करें। अपने पासवर्ड को किसी कागज पर न लिखें। इसे सरलता से हैक किया जा सकता है। अपनी मशीन में पावर ऑन पासवर्ड डाल दें ताकि उनके अलावा कोई और उनकी मशीन न खोल सके। सिस्टम पर स्क्रीनसेवर पासवर्ड डाल दें ताकि कोई और सिस्टम का प्रयोग न कर सके।इन कुछ बातों का ध्यान रखकर नेट बैंकिंग सुविधा का पूरा एवं सुरक्षित लाभ उठाया जा सकता है। और सांझे कंप्यूटर का प्रयोग इस सुविधा हेतु कम करें और यदि कैफे या सांझे कंप्यूटर से प्रयोग करते भी हैं, तो अपना पासवर्ड नियमित रूप से बदलते रहें। यह सुरक्षित तरीका रहेगा। उपयोक्ता अपने कंप्यूटर सिस्टम को सीधे बंद न करें।
आभारी विकीपीडिया 

मोबाइल पर टेंशन, हैकर उड़ा रहे मजा

चंडीगढ़.मोबाइल जेब में, मोबाइल का मालिक नींद में और इसी मोबाइल से कॉल विदेश में। शरारत हैकर की, बिल मोबाइल मालिक का। नतीजा ज्यादा बिल होने के कारण फोन काट दिया गया। सेक्टर-44 के प्रॉपर्टी डीलर विवेक कोहली शुक्रवार की रात मोबाइल फोन (ब्ल्यू टूथ डिवाइस युक्त) जेब में डालकर ही सोते रहे, लेकिन सुबह उनका फोन कट चुका था।




कनेक्शन आइडिया का है और कंपनी से मैसेज आया हुआ था कि ज्यादा बिल की वजह से कनेक्शन काटा गया है। विवेक ने कंपनी से संपर्क किया तो पता चला कि रातभर उनके नंबर से बुल्गारिया बात हुई है, जिसका बिल 8200 रुपए बनता है।



विवेक हैरत में थे, न तो उन्होंने कोई कॉल की थी और न ही बुल्गारिया में उन्हें कोई जानता है। विवेक ने फोन का कॉल रजिस्टर देखा तो डायल नंबर में विदेश के कई नंबर थे। विवेक इसी उलझन में थे कि यह मुमकिन कैसे हो सकता है?



कंपनी से बात करने पर ही विवेक को पता चला कि यह किसी हैकर की शरारत हो सकती है। कंपनी ने यह दलील भी दी कि कहीं न कहीं इसमें विवेक की ही गलती रही होगी। विवेक ने मामले की शिकायत सेक्टर-22 पुलिस चौकी को दी, जहां से मामला साइबर सेल को रेफर कर दिया गया। साइबर सेल में एसआई गुरमुख सिंह ने बताया कि इस तरह के दो मामले आए हैं। सेक्टर-19 के एक व्यापारी ने वीरवार को इसी तरह की शिकायत दर्ज कराई थी।



उसका रातोंरात 3200 रुपए का बिल आया था, जबकि उसने कहीं बात नहीं की। इस व्यापारी और विवेक के मोबाइल को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा जाएगा। गुरमुख के मुताबिक, चंडीगढ़ में मोबाइल कंपनियों के पास एंटी चीट कोड सर्वर नहीं है। इसलिए हैकर के सिम कार्ड को तलाश नहीं जा सकता।



विवेक की उलझन का जवाब



  •  मोबाइल का सिम कार्ड हैक कर उसे कोई और इस्तेमाल कर सकता है। काफी गुंजाइश है कि हैकर जानकार ही हो, लेकिन हैकिंग तभी संभव है जब मोबाइल में ब्ल्यू टूथ हो। हैकर या आपका जानकार अपने फोन और आपके फोन का ब्ल्यू टूथ ऑन करके दोनों में एक जैसा पासवर्ड फीड करता है। पासवर्ड फीड होते ही सिम हैक हो जाता है। लेकिन, इस तरह की हैकिंग में हैकर सिर्फ नंबर डायल कर सकेगा, किसी से बात नहीं कर पाएगा।



  • इंटरनेट में तमाम ‘मोबाइल चीट कोड’ मौजूद हैं। मोबाइल चीट कोड वह तरीके हैं, जिनके जरिये आप किसी का सिम कार्ड हैक कर सकते हैं। जिसका सिम हैक करना हो, उसका बैलेंस जानने के लिए हैकर कंपनी को एसएमएस भेजता है।



अगर कंपनी का सर्वर इस चीट कोड को एक्सेप्ट कर ले, तो समझो वह सिम हैक हो गया। इसके बाद हैकर अपने मोबाइल से ही आपका मोबाइल अकाउंट यूज कर सकता है। हैकर आपका नंबर इस्तेमाल करता रहता है और कंपनी के सर्वर में आपके फोन की टावर लोकेशन, आईईएमआई नंबर फीड होता रहता है। हैकर जिसे फोन करता है, उसके मोबाइल पर भी आपका नंबर ही डिस्प्ले होता है। और बिल भी आपका कटता है।



हैकिंग से बचने के साइबर क्राइम सेल के टिप्स



  • मोबाइल कंपनियां एंटी चीट कोड सर्वर लगाएं और पुराने सर्वर बदलें . अगर किसी अनजाने मैसेज से डिस्प्ले फाइल आए, तो इसे कतई न खोलें, यह मेसेज हैकर का हो सकता है।



  • .मोबाइल कंपनियां रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने से पहले जांचें, कि जिसके अकाउंट की डिटेल ली जा रही है, मैसेज भी उसी नंबर से आया है या नहीं। . अपने फोन में हमेशा सिम का पुक कोड लगाकर रखें। इसे हैकर हैक नहीं कर सकता।
आभारी भास्कर