अब वाई फाई वायरलेस सिस्टम इस्तेमाल कर रहे कम्प्यूटरों से डाटा चुराना या किसी अन्य का कम्प्यूटर को हैक कर उसका इस्तेमाल गलत कामों के लिए करना थोड़ा मुश्किल काम होगा।
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नई तकनीक वायरलेस इन्ट्रयूजन प्रिवेंशन सिस्टम (डब्ल्यूआईपीएस) विकसित की है जिसकी मदद से कोई घुसपैठिया आप के कम्प्यूटर सिस्टम में घुसकर न तो छेड़छाड़ कर सकेगा और न ही आपके कम्प्यूटर को हैक कर उसका गलत इस्तेमाल कर सकेगा।
गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों के दौरान आतंकवादियों ने मुंबई में एक अमेरिकी नागरिक के कम्प्यूटर में लगे वाई फाई सिस्टम को हैक कर उसका इस्तेमाल किया था।
मुंबई मामलों की जाँच कर रही टीम उस अमेरिकी व्यक्ति तक तो पहुँच गई लेकिन इस वाई फाई सिस्टम को कैसे हैक किया गया, इसका पता नहीं लगा पाई।
वाई फाई सिस्टम को हैकर से बचाने की यह डब्ल्यूआईपीएस तकनीक संस्थान के पूर्व छात्रों और अध्यापकों की एक टीम ने विकसित की है और इसका इस्तेमाल कई बड़ी कंपनियाँ शीघ्र ही करने वाली हैं क्योंकि इस तकनीक से वाई फाई सिस्टम हैकरों से पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएगा।
आईआईटी वैज्ञानिकों की एक टीम ने कुछ दिन पहले देश के कई प्रमुख शहरों के कार्यालयों और औद्योगिक परिसरों का सर्वेक्षण कर पाया कि इन कार्यालयों के अंदर गए बिना सड़क से अपनी गाड़ी में बैठे-बैठे ही उस बिल्डिंग के अंदर लगे वाई फाई सिस्टम को एक्सेस कर लिया और अंदर उनके कम्प्यूटरों की तमाम महत्वपूर्ण जानकारी का पता कुछ ही मिनटों में लगा लिया।
अध्ययन करने पर बाद में इसका कारण यह पता लगा कि सभी सरकारी और प्राइवेट कार्यालयों और भवनों में वाई फाई तकनीक तो लगा ली है लेकिन उन्हें हैकरों से कैसे सुरक्षित रखा जाए इस बाबत सुरक्षा के कोई भी इंतजाम नहीं किए गए हैं। इसी कारण कोई भी हैकर बिना उस बिल्डिंग में जाए बाहर से ही उस भवन के अंदर के कम्प्यूटर सिस्टम तक पहुँच सकता है।
डब्ल्यूआईपीएस सिस्टम को विकसित करने वाली वैज्ञानिकों की टीम के एक सदस्य प्रवीण भागवत ने बताया कि मुंबई में अमेरिकी नागरिक के वाई फाई सिस्टम को आतंकवादियों द्वारा हैक किए जाने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने घरों और निजी कार्यों में लगे वाई फाई सिस्टम को तो सुरक्षित और सेक्योर करने की बाबत सोचा लेकिन उन सरकारी कार्यालयों और बिजनेस कंपनियों में लगे वाई फाई सिस्टम के बारे में नही सोचा जहाँ भारी संख्या में वाई फाई सिस्टम लगे हैं।
आईआईटी डायरेक्टर धांडे के अनुसार इसके बाद कम्प्यूटर साइंस विभाग को लगा कि एक ऐसी तकनीक विकसित की जाए जो वाई फाई सिस्टम को हैकरों से बचाए और उनका डाटा और महत्वपूर्ण जानकारियाँ सुरक्षित रखे। इस नई विकसित तकनीक की मदद से उन भवनों को सुरक्षित रखा जा सकेगा जो वाई फाई वायरलेस तकनीक से लैस हैं।
वैज्ञानिक के अनुसार जिस बिल्डिंग में डब्ल्यूआईपीएस सिस्टम लगाना है पहले हम वहाँ इस बात की जाँच-पड़ताल करते हैं कि वहाँ वाई फाई सिस्टम के कितने एक्सेस प्वाइंट लगे हैं और किस-किस एक्सेस प्वाइंट की मदद से बिना बिल्डिंग में घुसे कोई भी हैकर बिल्डिंग के अंदर की जानकारियाँ चुरा सकता है। उसके बाद उस बिल्डिंग में हम इस सेक्यूरिटी सिस्टम के सेंसर लगाते हैं।
उन्होंने बताया कि इस सिस्टम के सेंसर लगाने के बाद जैसे ही कोई हैकर बाहर से बिल्डिंग के अंदर के वाई फाई सिस्टम को हैक करने या घुसपैठ करने की कोशिश करता है वैसे ही बिल्डिंग के अंदर लगे सेंसर सबसे पहले तो वाई फाई सिस्टम को लॉक कर देते हैं, उसके बाद अलार्म बजा देते हैं। इस तरह बिल्डिंग के अंदर बैठे लोगों को पता लग जाता है कोई हैकर डाटा हैक करने की कोशिश कर रहा है। इस तरह इस तकनीक की मदद से हैकर के डाटा चुराने या कम्प्यूटर हैक करने के मंसूबे धराशायी हो जाते हैं।
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2 comments:
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! अच्छी जानकारी प्राप्त हुई!
thanks for sharing such important information ya.
regards
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